लेखांकन की परिभाषिक शब्दावली (Terminology of Accounting)

#3 Terminology of Accounting
The terminology of Accounting के तीसरे भाग में आप Revenue, Income, Direct Income, Indirect Income, Discount, Trade Discount, Cash Discount, Bad Debts, Transaction, Voucher के बारे में जानेंगे।

Revenue - राजस्व 

Goods या सर्विस को मार्केट में सेल करने पर उससे जो प्राप्ती होती है वह राजस्व कहलाती हैं। 

Income - आय 

किसी भी माल या सर्विस को बाजार में सेल करने पर उससे जो Revenue (राजस्व) प्राप्त होता है। उसमे से खर्च को घटाने के बाद जो राशी बचती है। उसे आय या Income कहते हैं। यह दो प्रकार की होती हैं। 

Direct Income - प्रत्यक्ष आय

Direct Income वो Income है जो हमे मुख्य व्यवसाय से मिलता हैं। मान लिजिए हमारी shop industry हैं। तो इससे प्राप्त होने वाली आय Direct Income कहलायेगी। 

Indirect Income - अप्रत्यक्ष आय 

मुख्य व्यवसाय के अलावा जो हमारी Income होती हैं। वह Indirect Income कहलाती हैं। उदाहरण- हमारी  Shop Industry है। उसके अलावा हमने कुछ गोदाम किराये पर दिया हुआ है। तो उनका जो किराया आता है वो Indirect Income है। या हमने कुछ रुपया बाजार में उधार दिया हुआ है। तो उसाका जो ब्याज प्राप्त होगा वह हमारी Indirect Income होगी। 

Discount - बट्टा, छूट 

व्यापारी द्वारा अपने ग्राहको को दी जाने वाली रियायत, छूट या Discount कहलाती हैं। यह बट्टा दो प्रकार का होता हैं। 

Trade Discount - व्यापारिक बट्टा 

व्यापारी माल बेचते समय ग्राहक को माल के मुल्य मे कुछ कमी या बिल की राशि में कुछ कमी करता हैं। वह व्यापारिक बट्टा कहलाता हैं। यह छूट ग्राहको को आधिक माल खरिदने के लिए प्रेरित करने हेतु की जाती हैं। यह छुट माल के विक्रय मुल्य में से कुछ निश्चित प्रतिशत के रुप में दी जाती है। इस छुट को बिल में ही कम कर दिया जाता हैं। 

Cash Discount - नगद बट्टा 

व्यापारिक चलन के अनुसार प्रत्येक ग्राहक को निश्चित अवधी में भुगतान करने की सुविधा प्रादान की जाती हैं। अगर ग्राहक निश्चित अवधि के पहले ही भुगतान कर दे तो उसे कुछ छूट दि जाती हैं। जिसे नगद बट्टा (Cash Discount)  कहा जाता हैं। कैश डिस्काउंट के लालच में  ग्राहक सिघ्र ही भुगतान के लिए प्रोत्साहित होता है यह डिस्काउंट प्रतिशत के रुप में दिया जाता हैं। 

Bad Debts - डूबत ऋण 

व्यापारी को उधार बेचे गये माल की पुरी रकम Debtors यानि देनदारो से प्राप्त हो जाये ये आवश्यक नही हैं। अतः इस उधार की रकम मे से जो वसुल नही हो पाती हैं। उसे व्यापारी का डूबत ऋण कहते हैं। उदहारण के लिए व्यापारी को सोहन से 600 रुपये लेने थे। किंतु रुपेश के दिवालीया हो जाने से उसकी सम्पत्ति से केवल 400 रुपये ही वासुल हो सके। ऐसी स्थिति में 200 रुपये डूबत ऋण या Bad Debts होगा। यह व्यापार के लिए हानि होगा। 

Transaction - लेन-देन 

व्यापार में माल सम्बंधी क्रय-विक्रय और वस्तुओ का परस्पर आदन-प्रदान होता हैं। ऐसे सभी लेन-देन मुद्रा में होते हैं। या मुद्रा द्वारा मापे जा सकते हैं। मुद्रा का भुगतान तुरंत या भविष्य में हो सकता हैं। व्यापारी द्वारा किये जाने वाले सभी आदान-प्रदान लेन-देन कहलाते हैं। जब सौदे का नगद भुगतान किया जाता हैं। तब वह नगद लेन-देन यानि Cash Transaction कहलाता हैं। और जब भुगतान भविश्य में किया जाता हैं। तब उसे उधार लेन-देन यानि credit Transaction कहते हैं। 

Voucher - प्रमाणक 

व्यापार सम्बंधि सभी व्यवहारो व लेनदेन के लिए जो Document दिये व लिए जाते हैं।  उन्हे प्रामाणक यानि voucher कहते हैं। उधार क्रय-विक्रय हेतु बिलो रुपयो के लेन-देन के लिए रशीद, बैंको में जमा करने हेतु स्लीप, व बैंक से रुपये निकलने हेतु चैक आदि सभी voucher या प्रमाणक कहलाते हैं। इनका जरुरत पडने पर प्रमाण प्रस्तुत करने में उपयोग किया जाता हैं।