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[Tally Prime] Golden Rules of Accounting in Hindi | Golden Rules of Accounting


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Golden Rules of Accounting

Golden Rules of Accounting क्या हैं।

जब कोई Transaction होता है तो सबसे पहले देखा जाता है कि Transaction में प्रभावित होने वाले दोनो खाते (Accounts) कौन से है और किस प्रकार के है और फिर कुछ नियमो के अनुसार, जिन्हे Golden Rules of Accounting कहते हैं। किस खाते (Account) को Debit और किस खाते (Account) को Credit करना हैं। यह निर्णय करना होता हैं। 

Golden Rules of Accounting

  1. Personal Accounts (व्यक्तिगत खाते)
  2. Real Accounts (वास्तविक खाते)
  3. Nominal Accounts (नाममात्र के खाते)

Rules for Personal Accounts (व्यक्तिगत खातो के लिये नियम)

  1. पाने वाले को डेबिट करो (Debit the receiver)
  2. देने वाले को क्रेडिट करो। (Credit the Giver)

Rules for Real Accounts (वास्तविक खातो के लिए नियम)

  1. जो वस्तु व्यापार में आए, उसे डेबिट करो। (Debit what comes in)
  2. जो वस्तु व्यापार से जाए, उसे क्रेडिट करो। (Credit what goes out)

Reuls for Nominal Accounts (नाममात्र के खातो के लिए नियम) 

  1. सभी खर्च एव हानियों को डेबिट करो। (Debit all expenses and losses)
  2. सभी आय और लाभो को क्रेडिट करो। (Credit all income and gains) 

LOSSES (हानि) 

जब व्यय / खर्च (Expenses), राजस्व (Revenue) से अधिक होते है तो व्यय का आधिक्य यानी ज्यादा खर्च, हानि कहलाता हैं। जो पूंजी में वृध्दि की बजाय कमी करता हैं।

जैसे-  मान लिजिए राजस्व के रुप में 10000 रुपये प्राप्त हुए और इस राजस्व को प्राप्त करने के लिए हमने 12000 रुपये खर्च कर दिये।  इसका मतलब ये हुआ कि हमने 2000 रुपये की हानि हुई। 

पूंजी पर प्रभाव 

पूंजि पर इसका प्रभाव ये होगा कि पहले हमारी पूंजी थी 100000 रुपये और 2000 रुपये घट कर 98000 रुपये रह गई। 

Profit (लाभ)

जब राजस्व (Revenue), व्यय (Expenses) से अधिक होता है तो राजस्व की अधिकता लाभ कहलाती है। यह एक प्रकार की मौद्रिक प्राप्ति है, जो व्यवसाय के व्यवहार के फलस्वरुप प्राप्त होती हैं

जैसे- Revenue के रुप में 2 लाख प्राप्त हुए। और इस Revenue को प्राप्त करने के लिए 150000 रुपये खर्च हुये। तो इन दोनो का 50,000 रुपये का अंतर यानि लाभ कहालायेगा। 

पूंजी पर प्रभाव 

पूंजी पर इसका प्रभाव ये होगा। हमारी पूंजी एक लाख थी जो अभ 50 हजार रुपये बढकर 1 लाख 50 हजार हो गई हैं। 

Gains (आमदनी)

हमारे मुख्य व्यवसाय से प्राप्त होने वाले राजस्व को छोड़कर यदि कोई अन्य राजस्व प्राप्त होता है तो उसमें से मूल लागत कम करने के बाद जो बचता है वह Gain कहलाता हैं। 

जैसे- हमारी कोई सम्पत्ति जिसका बही खातो में 8000 रुपये मुल्य था। उसे हमने 10000 रुपये में बेचा। यानि हमे 2000 रुपये की प्राप्ति हुई। अब ये जो प्राप्ती है वो आमदनी कहलायेगी। 

आमदनी निकालने के लिए सूत्र

आमदनी = राजस्व – लागत

लाभ निकालने के लिए सूत्र

लाभ = राजस्व – (लागत + व्यय

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दोस्तों हमे आशा है कि आप को समझ आ गया होगा और समझ नही आया हो तो Facebook, Instagram, और निचे  comment करके पूछ सकते है।

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